आइए सीखें:
● कविता को हाव-भाव से लय पूर्वक प्रस्तुत करना।
● दृढ़ निश्चय, साहस आदि नैतिक मुल्यों के प्रति सजगता।
● अनुप्रास अलंकार का ज्ञान।
● समान उच्चरित शब्दों में अर्थ-भेद।
● विलोम शब्दों की जानकारी।
मेरी भावना (कवि: जुगल किशोर "युगवीर")
अहंकार का भाव न रक्खूँ,
नहीं किसी पर क्रोध करूं।
देख दूसरों की बढ़ती को,
कभी न ईर्ष्या भाव धरूं॥
रहे भावना ऐसी मेरी,
सरल सत्य व्यवहार करूं।
बने जहाँ तक इस जीवन में,
औरों का उपकार करूं॥
मैत्री भाव जगत में मेरा,
सब जीवों से नित्य रहे।
दीन-दुखी जीवों पर मेरे,
उर से करुणा-स्रोत बहे।।
दुर्जन-क्रूर-कुमार्गरतों पर,
क्षोभ नहीं मुझको आए।
साम्यभाव रक्खूँ मैं उन पर,
ऐसी परिणति हो जाए॥
गुणीजनों को देख हृदय में,
मेरे प्रेम उमड़ आए।
बने जहाँ तक उनकी सेवा,
करके यह मन सुख पाए।।
होऊ नहीं कृतघ्न कभी मैं,
द्रोह न मेरे उर आए।
गुण ग्रहण का भाव रहे नित,
दृष्टि न दोषों पर जाए।।
कोई बुरा कहे या अच्छा,
लक्ष्मी आए या जाए।
लाखों वर्षों तक जीऊ या,
मृत्यु आज ही आ जाए।।
अथवा कोई कैसा ही भय,
या लालच देने आए।
तो भी न्याय मार्ग से मेरा,
कभी न पद डिगने पाए।।
फैले प्रेम परस्पर जग में,
मोह दूर पर रहा करे।
अप्रिय कटुक कठोर शब्द नहीं,
कोई मुख से कहा करे।।
बनकर सब युगवीर हृदय से,
देशोन्नति रत रहा करें।
वस्तु स्वरूप विचार खुशी से,
सब दुःख संकट सहा करें॥
कवि संक्षिप्त परिचय: जुगल किशोर "युगवीर"
जन्म एवं निवास: श्री जुगल किशोर 'युगवीर' का जन्म उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के सरसावा ग्राम में हुआ था। यह स्थान उनकी रचनात्मक और आध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र रहा।
बहुमुखी ज्ञान: आपको संस्कृत, उर्दू, फारसी, अंग्रेजी और हिन्दी जैसी अनेक भाषाओं का गहरा ज्ञान था। यह बहुभाषी ज्ञान उनके लेखन में विविधता और विचारों की गहराई लाता था।
लेखन प्रतिभा: आप बाल्यकाल से ही उत्कृष्ट लेखन क्षमता के धनी थे। उनका लेखन मुख्य रूप से नैतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक मूल्यों पर केंद्रित रहा। उन्होंने न केवल काव्य रचनाएँ कीं, बल्कि धार्मिक एवं सामाजिक विषयों पर भी लेखन किया।
अद्वितीय कृति 'मेरी भावना': आपकी सबसे अद्वितीय कृति 'मेरी भावना' है। यह केवल एक कविता नहीं, बल्कि विश्व-कल्याण और आत्म-शुद्धि की भावना है। इसकी व्यापक लोकप्रियता के कारण, इसका अनेक भाषाओं में अनुवाद हो चुका है तथा इसे जैन समाज में और अन्यत्र भी दैनिक प्रार्थना के रूप में स्वीकार किया गया है।
'युगवीर' उपाधि: आपको उनके साहसिक, प्रगतिशील विचारों और समाज-सुधार की भावना के कारण ही "युगवीर" की उपाधि से विभूषित किया गया, जो उनके नाम का स्थायी हिस्सा बन गई।
पदों की संदर्भ एवं प्रसंग सहित व्याख्या
पद 1: अहंकार और उपकार
अहंकार का भाव न रक्खूँ,
नहीं किसी पर क्रोध करूं।
देख दूसरों की बढ़ती को,
कभी न ईर्ष्या भाव धरूं॥
रहे भावना ऐसी मेरी, सरल सत्य व्यवहार करूं।
बने जहाँ तक इस जीवन में, औरों का उपकार करूं॥
संदर्भ: प्रस्तुत पद कक्षा 7 वीं की भाषा भारती पाठ्य पुस्तक के पाठ 1 'मेरी भावना' कविता से लिया गया है। इस कविता के रचनाकार जुगल किशोर "युगवीर" हैं।
प्रसंग: इसमें कवि ने जीवन में अहंकार, क्रोध, और ईर्ष्या को त्यागकर सरल, सत्य और परोपकारी व्यवहार अपनाने की कामना की है।
व्याख्या: कवि प्रार्थना करता है कि वह कभी अहंकार और क्रोध न करे, दूसरों की उन्नति देखकर कभी ईर्ष्या न करे, बल्कि जीवनभर सरल और सच्चा व्यवहार करके यथासंभव दूसरों की भलाई करे।
विशेष: कवि की इच्छा है कि वह अहंकार और ईर्ष्या से मुक्त होकर सत्यपूर्ण परोपकारी जीवन जिए।
पद 2: मैत्री और समभाव
मैत्री भाव जगत में मेरा,
सब जीवों से नित्य रहे।
दीन-दुखी जीवों पर मेरे,
उर से करुणा-स्रोत बहे।।
दुर्जन-क्रूर-कुमार्गरतों पर, क्षोभ नहीं मुझको आए।
साम्यभाव रक्खूँ मैं उन पर, ऐसी परिणति हो जाए॥
संदर्भ: प्रस्तुत पद कक्षा 7 वीं की भाषा भारती पाठ्य पुस्तक के पाठ 1 'मेरी भावना' कविता से लिया गया है। इस कविता के रचनाकार जुगल किशोर "युगवीर" हैं।
प्रसंग: कवि सभी प्राणियों के प्रति मैत्री, दीन-दुखियों के प्रति करुणा और बुरे लोगों के प्रति भी समभाव रखने की भावना व्यक्त करता है।
व्याख्या: कवि कामना करता है कि उसका मन सभी जीवों से सदैव मित्रता रखे, गरीब और दुखियों के लिए उसके हृदय से दया का भाव बहे, और वह दुष्ट तथा बुरे मार्ग पर चलने वालों पर भी समभाव रखे, उनसे घृणा न करे।
विशेष: कवि सभी जीवों से मैत्री, दुखियों पर दया और दुर्जनों पर भी समता का भाव रखने की प्रार्थना करता है।
पद 3: गुण ग्रहण और कृतज्ञता
गुणीजनों को देख हृदय में,
मेरे प्रेम उमड़ आए।
बने जहाँ तक उनकी सेवा,
करके यह मन सुख पाए।।
होऊ नहीं कृतघ्न कभी मैं, द्रोह न मेरे उर आए।
गुण ग्रहण का भाव रहे नित, दृष्टि न दोषों पर जाए।।
संदर्भ: प्रस्तुत पद कक्षा 7 वीं की भाषा भारती पाठ्य पुस्तक के पाठ 1 'मेरी भावना' कविता से लिया गया है। इस कविता के रचनाकार जुगल किशोर "युगवीर" हैं।
प्रसंग: कवि गुणीजनों की सेवा करने, कृतज्ञ रहने और केवल दूसरों के गुणों को ग्रहण करने की इच्छा व्यक्त करता है।
व्याख्या: कवि चाहता है कि गुणी व्यक्तियों को देखकर उसके हृदय में प्रेम उत्पन्न हो और वह यथासंभव उनकी सेवा करके सुख पाए। वह कभी किसी का उपकार न भूले (कृतघ्न न हो) और हमेशा दूसरों के दोषों को न देखकर उनके गुणों को ही ग्रहण करे।
विशेष: कवि गुणीजनों का आदर-सेवा, कृतज्ञता और केवल गुणग्राहकता का भाव रखने की कामना करता है।
पद 4: न्याय मार्ग पर अडिग
कोई बुरा कहे या अच्छा,
लक्ष्मी आए या जाए।
लाखों वर्षों तक जीऊ या,
मृत्यु आज ही आ जाए।।
अथवा कोई कैसा ही भय, या लालच देने आए।
तो भी न्याय मार्ग से मेरा, कभी न पद डिगने पाए।।
संदर्भ: प्रस्तुत पद कक्षा 7 वीं की भाषा भारती पाठ्य पुस्तक के पाठ 1 'मेरी भावना' कविता से लिया गया है। इस कविता के रचनाकार जुगल किशोर "युगवीर" हैं।
प्रसंग: कवि जीवन में मान-अपमान, लाभ-हानि, जीवन-मृत्यु या किसी भी भय/लालच की स्थिति में भी न्याय के मार्ग पर दृढ़ रहने का संकल्प व्यक्त करता है।
व्याख्या: कवि कहता है कि चाहे कोई उसकी प्रशंसा करे या बुराई, धन मिले या चला जाए, मृत्यु तुरंत आ जाए या जीवन लाखों वर्ष का हो, या कोई उसे डराए या लालच दे, वह कभी भी न्याय और सत्य के मार्ग से विचलित न हो।
विशेष: कवि हर परिस्थिति और प्रलोभन में भी न्याय और सत्य के मार्ग पर अडिग रहने का संकल्प करता है।
पद 5: प्रेम, मधुर वाणी और देशोन्नति
फैले प्रेम परस्पर जग में,
मोह दूर पर रहा करे।
अप्रिय कटुक कठोर शब्द नहीं,
कोई मुख से कहा करे।।
बनकर सब युगवीर हृदय से,
देशोन्नति रत रहा करें।
वस्तु स्वरूप विचार खुशी से, सब दुःख संकट सहा करें॥
संदर्भ: प्रस्तुत पद कक्षा 7 वीं की भाषा भारती पाठ्य पुस्तक के पाठ 1 'मेरी भावना' कविता से लिया गया है। इस कविता के रचनाकार जुगल किशोर "युगवीर" हैं।
प्रसंग: यह पद विश्व में प्रेम, मधुर वाणी, देश सेवा और जीवन के यथार्थ को समझते हुए हर संकट को सहने की प्रेरणा देता है।
व्याख्या: कवि चाहता है कि संसार में सब एक-दूसरे से प्रेम करें और मोह से दूर रहें। कोई भी व्यक्ति अप्रिय, कड़वे या कठोर शब्द न बोले। सभी 'युगवीर' बनकर देश की उन्नति में लगे रहें और संसार के वास्तविक स्वरूप को समझकर (वस्तु स्वरूप विचार) खुशी-खुशी सभी दुख और संकटों को सहन करें।
विशेष: कवि प्रेम, मधुर वाणी, देश सेवा और यथार्थ ज्ञान के साथ संकटों को सहन करने का भाव व्यक्त करता है।
शिक्षण संकेत:
● कविता की पांक्लयों को सरल, सहज प्रवाह में लय पूर्वक प्रस्तुत कीजिए।
● कविता में आए कठिन शब्दों का शुद्ध उच्चारण करवाइए।
● कविता को कम से कम तीन भागों में विभाजित कर शिक्षण कीजिए।
● कविता का हाव-भाव और लय वाचन करवाइए।
शब्दकोश कार्य
अगले पाठ से शब्दकोश देखना सीखिए। निम्नलिखित शब्दों के अर्थ शब्दकोश से खोजकर लिखिए:
अहंकार = घमंड या अपनी महानता का अनुभव करना
करुणा = दया या पीड़ा के प्रति सहानुभूति
परिणति = परिणाम, विकास, या अंतिम अवस्था
कटु = कड़वा, अप्रिय
देशोन्नति = देश की उन्नति या प्रगति
क्षोभ = दुःख, खेद या कष्ट
स्रोत = उत्पत्ति का स्थान या साधन
ईर्ष्या = किसी की सफलता देखकर जलन या जलन की भावना
क्रूर = निर्दयी, कठोर
दुर्जन = बुरा या दुष्ट व्यक्ति
कुमार्गरतों = जो गलत/बुरे रास्ते पर चल रहे हों
द्रोह = शत्रुता, वैर-भाव या किसी को हानि पहुँचाने की इच्छा
कृतघ्न = उपकार न मानने वाला
युगवीर = अपने युग का वीर
अभ्यास
बोध प्रश्न
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
क. हमें जीवों के प्रति किस तरह की भावना रखनी चाहिए?
उत्तर — हमें सभी जीवों के प्रति मैत्री-भाव रखना चाहिए और विशेष रूप से दीन-दुखी जीवों पर करुणा (दया) की भावना रखनी चाहिए।
ख. 'मेरी भावना' कविता में कवि ने किन-किन पर साम्यभाव रखने की बात कही है?
उत्तर — कवि ने दुर्जन (दुष्ट), क्रूर (निर्दयी) और कुमार्गरतों (बुरे रास्ते पर चलने वाले) पर क्रोध या क्षोभ न करके साम्यभाव (समानता का भाव) रखने की बात कही है।
ग. देशोन्नति से कवि का क्या आशय है? कवि किस तरह की देशोन्नति में सम्मिलित होना चाहता है?
उत्तर — देशोन्नति से कवि का आशय देश की प्रगति और उन्नति से है। कवि युगवीर बनकर, प्रेम फैलाने और अप्रिय कटु शब्दों को त्यागकर सभी देशवासियों के साथ मिलकर, हृदय से देशोन्नति के कार्य में लगे रहने (रत रहने) में सम्मिलित होना चाहता है।
2. सद्गुण और दुर्गुण की सूची
निम्नलिखित शब्दों में से सद्गुण और दुर्गुण के लिए प्रयुक्त शब्दों की सूची अलग-अलग बनाईए:
अहंकार, क्रोध, ईर्ष्या, उपकार, क्रूर, प्रेम, मोह
सद्गुण (अच्छे गुण)
1. उपकार: दूसरों की भलाई करना।
2. प्रेम: स्नेह या लगाव का भाव।
दुर्गुण (बुरे गुण)
1. अहंकार: घमंड या अपनी महानता का भाव।
2. क्रोध: गुस्सा या नाराजगी का भाव।
3. ईर्ष्या: जलन या किसी की उन्नति देखकर दुःख होना।
4. क्रूर: निर्दयी या कठोरता का भाव।
5. मोह: अत्यधिक आसक्ति या अज्ञानवश वस्तुओं से चिपके रहना।
3. भावों से संबंधित पंक्तियाँ
निम्नलिखित भाव जिस पंक्ति में आए हों, उन पंक्तियों को लिखिए:
1. ईर्ष्या:
देख दूसरों की बढ़ती को, कभी न ईर्ष्या भाव धरूं॥
2. करुणा:
दीन-दुखी जीवों पर मेरे, उर से करुणा-स्रोत बहे।।
3. लालच:
अथवा कोई कैसा ही भय, या लालच देने आए।
4. कृतघ्न:
होऊ नहीं कृतघ्न कभी मैं, द्रोह न मेरे उर आए।
4. विलोम शब्द छाँटकर लिखिए
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द वर्ग पहेली (तालिका) में से छाँटकर लिखिए :–
उपकार, कुमार्ग, कृतघ्न, जीवन, अन्याय, दुःख
वर्ग पहेली :–
| अ | कृ | त | ज्ञ |
| प | सु | मृ | त्यु |
| का | ख | मा | क |
| र | न्या | य | र्ग |
(नोट :– वर्ग पहेली में विलोम शब्द - कृतज्ञ, मृत्यु, न्याय, सुमार्ग मौजूद हैं। अपकार और सुख तालिका में स्पष्ट रूप से नहीं दिए गए हैं, इसलिए वे पहेली के बाहर से लिखे गए हैं।)
हल :–
1. उपकार अपकार (पहेली में नहीं)
2. कुमार्गसुमार्ग (पहेली में 'सु' और 'मार्ग' के लिए अंतिम कॉलम का 'र्ग' अक्षर)
3. कृतघ्नकृतज्ञ (पहेली की पहली पंक्ति)
4. जीवनमृत्यु (पहेली की दूसरी पंक्ति)
5. अन्यायन्याय (पहेली की चौथी पंक्ति)
6. दुःखसुख (पहेली में नहीं)
5. वर्ण आवृत्ति पहचानिए
नीचे लिखे शब्दों को ध्यान से पढ़िए और जिन वर्णों की आवृत्ति हुई है उसे लिखिए:
जैसे- सरल, सत्य 'स'
1. क्रूर, कुमार्ग 'क'
2. गुण, ग्रहण 'ग'
3. दीन, दुखी 'द'
4. रत, रहा 'र'
6. अलंकार (अनुप्रास अलंकार)
ध्यान दीजिए: इस प्रकार की आवृत्ति से कविता में सौन्दर्य उत्पन्न होता है। कविता में सौन्दर्य उत्पन्न करने वाले तत्वों को अलंकार कहते हैं।
अनुप्रास अलंकार:
कविता में एक या एक से अधिक वर्णों की आवृत्ति जहाँ बार-बार होती है, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।
अनुप्रास अलंकार वाली पंक्तियाँ छाँटकर लिखिए (हल):
इस कविता से अनुप्रास अलंकार वाली पंक्तियाँ छाँटकर लिखिए:
1. क-भी न ईर्ष्या भाव धरूं (यहाँ 'क' और 'र' की आवृत्ति हुई है।)
2. दी-न-दु-खी जीवों पर मेरे... (यहाँ 'द' वर्ण की आवृत्ति हुई है।)
3. अप्रिय क-टुक क-ठोर शब्द नहीं, कोई मुख से क-हा क-रे। (यहाँ 'क' वर्ण की आवृत्ति हुई है।)
4. स-रल स-त्य व्यवहार करूं। (यहाँ 'स' वर्ण की आवृत्ति हुई है।)
योग्यता विस्तार
1. सत्य और परोपकार भावना से संबंधित कोई कहानी याद कर कक्षा में सुनाइए।
हल/संकेत: विद्यार्थी 'सत्यनिष्ठा' और 'परोपकार' के महत्व पर बल देने वाली कहानियों (जैसे राजा हरिश्चंद्र या शिवि की कहानी) को याद करके सुना सकते हैं।
2. कविता में आए नैतिक मूल्यों के बारे में चर्चा कीजिए।
हल/संकेत: इस कविता में आए नैतिक मूल्य हैं: मैत्री भाव, करुणा, कृतज्ञता, गुणग्राहकता, न्याय के मार्ग पर दृढ़ता और देशोन्नति। विद्यार्थी इनके महत्व पर सामूहिक चर्चा करें।
3. जीवन में प्रेरणा देने वाली अन्य कविताएँ कक्षा में सुनाइए।
हल/संकेत: विद्यार्थी विभिन्न कवियों की ऐसी कविताएँ सुना सकते हैं जो साहस, ईमानदारी या देशप्रेम (जैसे- 'कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती' या 'कर्मवीर' जैसी कविताएँ) की प्रेरणा देती हों।
व्याकरण: काल (Tense)
पढ़िए और जानिए
क. मोहन विद्यालय गया।
ख. मोहन विद्यालय जा रहा है।
ग. मोहन विद्यालय जाएगा।
इन वाक्यों में गया, जा रहा है, जाएगा आदि क्रियाएँ हैं। इन वाक्यों में क्रियाओं के होने का समय अलग-अलग है। क्योंकि -
'गया' क्रिया हो चुकी है। (भूतकाल)
'जा रहा है' क्रिया हो रही है। (वर्तमानकाल)
'जाएगा' क्रिया होगी। (भविष्यकाल)
अतः तीनों क्रियाओं का समय भिन्न-भिन्न है। अतः हम यह कह सकते हैं-
क्रिया का वह रूप जिससे उसके होने के समय का पता चलता है, 'वह काल कहलाता है'। "रूपान्तर को काल कहते हैं।" इससे उसके कार्य व्यापार की पूर्णता अथवा अपूर्णता का पता लगता है।
काल के भेद:
1. भूतकाल: क्रिया का वह रूप जिससे कार्य के पूर्ण होने का पता चले, उसे भूतकाल कहते हैं। अर्थात् क्रिया की समाप्ति का बोध हो। जैसे "उसने पुस्तकें पढ़ीं।"
2. वर्तमान काल: अभी जो समय चल रहा है, उसे वर्तमानकाल कहते हैं। जैसे- "राधा नाच रही है।"
3. भविष्य काल: आने वाले समय (भविष्य में) को भविष्यकाल कहते हैं। जैसे- "श्याम पाठ पढ़ेगा।"
7. अभ्यास प्रश्न
निम्नलिखित वाक्यों में क्रियाओं को उनके सम्मुख दिए गए निर्देश के अनुसार लिखिए (हल):
क. सभी बच्चे खुश हैं। (वर्तमानकाल)
उत्तर– सभी बच्चे खुश हैं। (वाक्य पहले से ही वर्तमानकाल में है)
ख. शब्द कोश में शब्दों के अर्थ खोजे जा सकते हैं। (भविष्यकाल)
उत्तर – शब्द कोश में शब्दों के अर्थ खोजे जा सकेंगे।
ग. आलोक ने कई कार्यक्रमों में भाग लिया है। (भूतकाल)
उत्तर – आलोक ने कई कार्यक्रमों में भाग लिया। (मूल वाक्य 'पूर्ण वर्तमान' है, 'भूतकाल' में बदलने पर)
घ. शब्दकोश प्रतियोगिता होगी। (भविष्यकाल)
उत्तर – शब्दकोश प्रतियोगिता होगी। (वाक्य पहले से ही भविष्यकाल में है)
इ. मैं नहीं समझ पा रहा हूँ। (वर्तमानकाल)
उत्तर – मैं नहीं समझ पा रहा हूँ। (वाक्य पहले से ही वर्तमानकाल में है)
सुवाक्य
विद्या से विनम्रता आती है।
प्रतियोगी परीक्षा अभ्यास: मेरी भावना
25 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
प्रत्येक प्रश्न का केवल एक ही उत्तर सही है। सही विकल्प का चयन करें।
1. 'मेरी भावना' कविता के रचयिता कौन हैं?
(अ) मैथिलीशरण गुप्त
(ब) जुगल किशोर "युगवीर"
(स) अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
(द) जयशंकर प्रसाद
उत्तर: (ब) जुगल किशोर "युगवीर"
2. कवि जुगल किशोर 'युगवीर' का जन्म किस जिले में हुआ था?
(अ) मेरठ
(ब) आगरा
(स) सहारनपुर
(द) मुजफ्फरनगर
उत्तर: (स) सहारनपुर
3. कवि ने दूसरों की बढ़ती को देखकर कौन सा भाव न रखने की कामना की है?
(अ) प्रेम
(ब) दया
(स) ईर्ष्या
(द) साम्यभाव
उत्तर: (स) ईर्ष्या
4. 'दीन-दुखी जीवों पर मेरे' कवि किस 'स्रोत' के बहने की कामना करते हैं?
(अ) जल-स्रोत
(ब) प्रेम-स्रोत
(स) करुणा-स्रोत
(द) ज्ञान-स्रोत
उत्तर: (स) करुणा-स्रोत
5. 'परिणति' शब्द का सही अर्थ क्या है?
(अ) दया
(ब) कठोरता
(स) परिणाम या अंतिम अवस्था
(द) घमंड
उत्तर: (स) परिणाम या अंतिम अवस्था
6. 'कृतघ्न' शब्द का सही विलोम क्या है?
(अ) उपकार
(ब) कृतार्थ
(स) कृतज्ञ
(द) अनभिज्ञ
उत्तर: (स) कृतज्ञ
7. कवि ने किस प्रकार के व्यवहार की भावना रखी है?
(अ) कठोर और कटु
(ब) सरल और सत्य
(स) क्रूर और मोहपूर्ण
(द) स्वार्थी और अहंकारपूर्ण
उत्तर: (ब) सरल और सत्य
8. कवि किन पर क्षोभ (कष्ट) न आने की कामना करता है?
(अ) गुणीजनों पर
(ब) दुर्जन-क्रूर-कुमार्गरतों पर
(स) दीन-दुखी जीवों पर
(द) मित्रों पर
उत्तर: (ब) दुर्जन-क्रूर-कुमार्गरतों पर
9. 'कुमार्गरतों' शब्द का अर्थ क्या है?
(अ) अच्छे रास्ते पर चलने वाले
(ब) जो गलत रास्ते पर चल रहे हों
(स) क्रूर व्यक्ति
(द) संतोषी व्यक्ति
उत्तर: (ब) जो गलत रास्ते पर चल रहे हों
10. 'सरल सत्य व्यवहार करूं' पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
(अ) यमक अलंकार
(ब) उपमा अलंकार
(स) श्लेष अलंकार
(द) अनुप्रास अलंकार
उत्तर: (द) अनुप्रास अलंकार
11. कवि किससे दूर रहने की बात करता है?
(अ) प्रेम से
(ब) मोह से
(स) दया से
(द) न्याय मार्ग से
उत्तर: (ब) मोह से
12. कवि ने किन शब्दों को मुख से न कहने की कामना की है?
(अ) सरल-सत्य
(ब) अप्रिय-कटुक-कठोर
(स) मधुर-सहज
(द) प्रेम-करुणा
उत्तर: (ब) अप्रिय-कटुक-कठोर
13. 'राधा नाच रही है' वाक्य किस काल का उदाहरण है?
(अ) भूतकाल
(ब) वर्तमानकाल
(स) भविष्यकाल
(द) अज्ञातकाल
उत्तर: (ब) वर्तमानकाल
14. क्रिया का वह रूप जिससे कार्य के पूर्ण होने का पता चले, उसे क्या कहते हैं?
(अ) वर्तमानकाल
(ब) भविष्यकाल
(स) भूतकाल
(द) अपूर्णकाल
उत्तर: (स) भूतकाल
15. 'कुमार्ग' का विलोम शब्द क्या है?
(अ) सन्मार्ग
(ब) सुमार्ग
(स) अपमार्ग
(द) न्यायमार्ग
उत्तर: (ब) सुमार्ग
16. कवि किस मार्ग से अपना पग (कदम) न डिगने देने का संकल्प करता है?
(अ) मोह मार्ग
(ब) लालच मार्ग
(स) न्याय मार्ग
(द) धन मार्ग
उत्तर: (स) न्याय मार्ग
17. 'वर्णों की आवृत्ति' से कविता में क्या उत्पन्न होता है?
(अ) गति
(ब) सौन्दर्य
(स) अर्थहीनता
(द) कठोरता
उत्तर: (ब) सौन्दर्य
18. 'गुण ग्रहण का भाव रहे नित, दृष्टि न दोषों पर जाए।' पंक्ति में कौन सा नैतिक मूल्य निहित है?
(अ) त्याग
(ब) करुणा
(स) गुणग्राहकता
(द) क्रोध
उत्तर: (स) गुणग्राहकता
19. 'मैं नहीं समझ पा रहा हूँ।' को भूतकाल में बदलने पर सही वाक्य क्या होगा?
(अ) मैं नहीं समझ पाऊंगा।
(ब) मैं नहीं समझ सका।
(स) मैं नहीं समझा।
(द) मैं नहीं समझ पा रहा था।
उत्तर: (द) मैं नहीं समझ पा रहा था।
20. 'अन्याय' का विलोम शब्द क्या है?
(अ) न्याय
(ब) निष्पक्ष
(स) सन्याय
(द) अनुचित
उत्तर: (अ) न्याय
21. 'देशोन्नति रत रहा करें' में 'रत' शब्द का क्या अर्थ है?
(अ) खुश
(ब) विरक्त
(स) लगा हुआ/लीन
(द) दूर
उत्तर: (स) लगा हुआ/लीन
22. दिए गए शब्दों में सद्गुण कौन सा है?
(अ) क्रोध
(ब) मोह
(स) ईर्ष्या
(द) प्रेम
उत्तर: (द) प्रेम
23. 'दीन-दुखी' में किस वर्ण की आवृत्ति से अनुप्रास अलंकार बनता है?
(अ) 'न'
(ब) 'ई'
(स) 'द'
(द) 'ख'
उत्तर: (स) 'द'
24. कवि 'वस्तु स्वरूप विचार' कर क्या सहने की बात करता है?
(अ) धन
(ब) अपमान
(स) सब दुःख संकट
(द) उपकार
उत्तर: (स) सब दुःख संकट
25. 'शब्दकोश प्रतियोगिता होगी' किस काल का वाक्य है?
(अ) भूतकाल
(ब) वर्तमानकाल
(स) भविष्यकाल
(द) अपूर्ण भूतकाल
उत्तर: (स) भविष्यकाल
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