प्रार्थना
○ वह शक्ति हमें दो दयानिधे,
कर्त्तव्य मार्ग पर डट जाएँ।
पर सेवा पर उपकार में हम,
निज जीवन सफल बना जाएँ।।
○ हम दीन-दुखी निबलों-विकलों
के सेवक बन सताप हरे।
जो हैं अटके भूले-भटके,
उनको तारें खुद तर जाएँ।।
○ छल, दंभ, दवेष, पाखण्ड,
झूठ, अन्याय से निशिदिन दूर रहें।
जीवन हो शुद्ध सरल अपना,
शुचि प्रेंम-सुधा रस बरसाएँ ।।
○ निज आन, मान, मर्यादा का,
प्रभु! ध्यान रहे, अभिमान रहे।
जिस देश जाति में जन्म लिया,
बलिदान उसी पर हो जाएँ।।
मुरारीलाल शर्मा 'बालबंधु'
📝 लेखक परिचय : मुरारीलाल शर्मा 'बालबंधु'
जन्म: 1893निधन: 4 नवंबर, 1961
जन्म स्थान: ग्राम साईमल की टिकरी, मेरठ, उत्तर प्रदेश
उपनाम: 'बालबंधु'
पंडित मुरारीलाल शर्मा 'बालबंधु' एक प्रख्यात बाल साहित्यकार थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन बच्चों के लिए सरल, सहज और प्रेरणादायक रचनाएँ लिखने में समर्पित कर दिया। उनका 'बालबंधु' उपनाम बच्चों के प्रति उनके गहरे लगाव और स्नेह को दर्शाता है।
रचनात्मक कार्य और योगदान
मुरारीलाल शर्मा जी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से बच्चों में नैतिक मूल्यों, देशप्रेम और कर्तव्यनिष्ठा की भावना को विकसित करने का प्रयास किया। उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना "वह शक्ति हमें दो दयानिधे" है, जो भारत के कई सरकारी और निजी स्कूलों में आज भी प्रार्थना के रूप में गाई जाती है। यह प्रार्थना बच्चों के मन में लोक कल्याण, परोपकार और सादगी की भावना भरती है।
उनकी कुछ अन्य प्रमुख कृतियों में 'साहसी बच्चे', 'होनहार बिरवे', 'गोदी भरे लाल', 'ज्ञान गंगा' और 'कोकिला' शामिल हैं। ये सभी रचनाएँ बच्चों के मानसिक और चारित्रिक विकास को ध्यान में रखकर लिखी गई हैं। वे अपनी कविताओं में आम बोलचाल की भाषा का इस्तेमाल करते थे, जिससे बच्चों को उन्हें समझने में कोई कठिनाई नहीं होती थी।
मुरारीलाल शर्मा 'बालबंधु' ने न केवल अपनी कलम से बच्चों को शिक्षित किया, बल्कि अपने उपनाम 'बालबंधु' के माध्यम से वे सचमुच बच्चों के सच्चे मित्र बन गए। उनका निधन 4 नवंबर, 1961 को हुआ, लेकिन उनकी रचनाएँ आज भी बच्चों के बीच जीवित हैं और उन्हें सही राह दिखा रही हैं।
प्रार्थना - संदर्भ एवं प्रसंग सहित व्याख्या
1. वह शक्ति हमें दो दयानिधे,
कर्त्तव्य मार्ग पर डट जाएँ।
पर सेवा पर उपकार में हम,
निज जीवन सफल बना जाएँ।।
संदर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ भाषा भारती के पाठ -1 'प्रार्थना' से ली गई है। इस प्रार्थना की रचनाकार मुरारीलाल बाल बंधु हैं।
प्रसंग – उक्त पंक्तियों में ईश्वर से अपने कर्तव्य मार्ग पर चलने के लिए प्रार्थना की गई है।
भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियों में ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहा गया है कि हे ईश्वर! हमें वह ऊर्जा (शक्ति) प्रदान करो जिससे हम अपने कर्तव्य के मार्ग पर चलें अर्थात अपने कर्तव्य का निर्वहन करें। दूसरों की सेवा करें, उनकी भलाई करें। इस तरह अपने स्वयं के जीवन को सफल बना लें।
2. हम दीन-दुखी निबलों-विकलों
के सेवक बन सताप हरे।
जो हैं अटके भूले-भटके,
उनको तारें खुद तर जाएँ।।
संदर्भ – पद्यांश 1 के अनुसार।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियों में दीन-हीनों की सेवा करने हेतु ईश्वर से प्रार्थना की गई है।
भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियों में ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहा गया है कि हे ईश्वर! हमें वह शक्ति प्रदान करो जिससे कि हम जो लोग दीन दुखी हैं, निःसहाय और परेशान हैं, उनके सेवक बन जाए और उनकी पीड़ा को दूर करें। जो लोग अपने जीवन मार्ग से भटक गए हैं और वे आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं तो उन्हें हम तार दें अर्थात उनका उपकार कर दें। इस तरह हम स्वयं भी तर जाएंगे।
3. छल, दंभ, दवेष, पाखण्ड,
झूठ, अन्याय से निशिदिन दूर रहें।
जीवन हो शुद्ध सरल अपना,
शुचि प्रेंम-सुधा रस बरसाएँ ।।
संदर्भ – पद्यांश 1 के अनुसार।
प्रसंग – इन पंक्तियों में ईश्वर से दुर्गुणों से दूर रहने एवं सादा जीवन जीने हेतु प्रार्थना की गई है।
भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियों में ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहा गया है कि हे ईश्वर! हम छल कपट, घमंड, दूसरों से ईर्ष्या, ढोंग करने, झूठ बोलने तथा दूसरों के प्रति अन्याय करने जैसे अवगुणों से सदैव दूर रहें। हमारा जीवन पवित्र एवं सरल हो। हम सदैव ही दूसरों के प्रति अमृत रूपी प्रेंम की बरसात करें अर्थात दूसरों के साथ प्रेंम का व्यवहार करें।
4. निज आन, मान, मर्यादा का,
प्रभु! ध्यान रहे, अभिमान रहे।
जिस देश जाति में जन्म लिया,
बलिदान उसी पर हो जाएँ।।
संदर्भ – पद्यांश 1 के अनुसार।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियों में अपनी मान मर्यादा के साथ देश प्रेंम को प्रस्तुत किया गया है।
भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियों में ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहा गया है कि हे ईश्वर! हमें ऐसी शक्ति दो कि स्वयं की मान मर्यादा का सदैव ध्यान रहे और हमें उस पर गर्व रहे। हम जिस देश अर्थात भारत में और जिस जाति वंश में पैदा हुए हैं, उनकी रक्षा के हित अपने आपको न्यौछावर कर सकें।
शब्दार्थ
शक्ति = बल, सामर्थ्य।
दयानिधे = ईश्वर, कृपा के सागर।
कर्तव्य = करने योग्य कार्य।
मार्ग = रास्ता।
परसेवा = दूसरों की सेवा।
मर्यादा = मान सम्मान।
दंभ = घमंड।
पाखंड = झूठा दिखावा।
शुचि = पवित्र।
सुधा = अमृत।
संताप = दुख या कष्ट।
द्वेष = ईर्ष्या।
अभ्यास
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए–
क. प्रार्थना में किससे शक्ति माँगी गई है?
उत्तर – प्रार्थना में शक्ति ईश्वर से माँगी गई है।
ख. हम अपने जीवन को किस प्रकार सफल बना सकते हैं?
उत्तर – हम दूसरों की सेवा एवं परोपकार करके अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।
ग. हमें किस प्रकार के व्यक्तियों की सेवा करनी चाहिए?
उत्तर – हमें दीन दुखियों, निर्बलों एवं निःसहायों की सेवा करनी चाहिए।
घ. हमें किन-किन बातों से दूर रहना चाहिए?
उत्तर – हमें छल कपट, घमंड, ईर्ष्या, ढोंग, झूठ बोलने एवं दूसरों के प्रति अन्याय करने से दूर रहना चाहिए।
ङ इस प्रार्थना में किन-किन बातों को करने पर बल दिया गया है?
उत्तर – इस प्रार्थना में दूसरों की सेवा एवं उपकार करने, दीन दुखियों एवं निःसहाय लोगों के सेवक बनकर उनके दुख को दूर करने, अपने जीवन मार्ग से भटके हुए लोगों को तारने, प्रेंम रूपी अमृत रस बरसाने, स्वयं की मान मर्यादा का ध्यान रखते हुए देश एवं जाति की रक्षा के लिए स्वयं का बलिदान करने पर बल दिया गया है।
2. पाठ के अनुसार 'क' और 'ख' स्तम्भ में दिए गए शब्दों की सही जोडी बनाकर लिखिए। 3. निम्नलिखित भाव 'प्रार्थना' की जिन पंक्तियों में आए हैं उन्हें लिखिए– 1. निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए– यह भी जानिए–
इन शब्दों का उच्चारण और अंतर जानिए। 2. निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिए– 3. निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए। 1. प्रतिदिन अपने विद्यालय में प्रार्थना का सस्वर सामूहिक गायन करें। विद्यार्थियों को अतिरिक्त योग्यता प्राप्त करने के लिए दी गई प्रार्थना को सस्वर सामूहिक रूप से प्रति दिवस गायन करना चाहिए। इसी तरह की ईश्वर की अन्य प्रार्थना भी याद कर कक्षा में या बालसभा में सुनाना चाहिए। 1. 'दयानिधे' शब्द का सही अर्थ क्या है? (क) दया का सागर (ख) दया करने वाला (ग) दया का घर (घ) दयालु उत्तर – (क) दया का सागर 2. 'कर्तव्य मार्ग' का सही अर्थ क्या है? (क) कठिन रास्ता (ख) करने योग्य काम का रास्ता (ग) धर्म का रास्ता (घ) अच्छा रास्ता उत्तर – (ख) करने योग्य काम का रास्ता 3. 'शुचि' शब्द का सही अर्थ क्या है? (क) सरल (ख) साफ (ग) शुद्ध (घ) पवित्र उत्तर – (घ) पवित्र 4. 'सुधा' का समानार्थी शब्द क्या है? (क) शहद (ख) अमृत (ग) रस (घ) जल उत्तर – (ख) अमृत 5. 'संताप' शब्द का सही अर्थ क्या है? (क) गर्मी (ख) दुख (ग) थकान (घ) चिंता उत्तर – (ख) दुख 6. 'द्वेष' शब्द का विलोम शब्द क्या है? (क) जलन (ख) ईर्ष्या (ग) प्रेम (घ) गुस्सा उत्तर – (ग) प्रेम 7. प्रार्थना में किन लोगों की सेवा करने की बात कही गई है? (क) दोस्तों की (ख) पड़ोसियों की (ग) दीन-दुखियों और निर्बलों की (घ) रिश्तेदारों की उत्तर – (ग) दीन-दुखियों और निर्बलों की 8. 'छल, दंभ, द्वेष, पाखंड' से क्या दूर रखने की बात कही गई है? (क) दिन और रात (ख) विचार (ग) जीवन (घ) दोस्त उत्तर – (ग) जीवन 9. 'पाखंड' का समानार्थी शब्द क्या है? (क) ढोंग (ख) झूठ (ग) अहंकार (घ) दंभ उत्तर – (क) ढोंग 10. प्रार्थना में अपने जीवन को सफल बनाने के लिए क्या करने को कहा गया है? (क) पढ़ाई करने को (ख) धन कमाने को (ग) दूसरों की सेवा और परोपकार करने को (घ) पूजा करने को उत्तर – (ग) दूसरों की सेवा और परोपकार करने को 11. 'बलिदान उसी पर हो जाएँ' का क्या अर्थ है? (क) दूसरों की मदद करना (ख) अपना जीवन देश के लिए न्योछावर करना (ग) दूसरों के लिए खाना देना (घ) दान करना उत्तर – (ख) अपना जीवन देश के लिए न्योछावर करना 12. 'शुद्ध सरल' में कौन-से शब्द विशेषण हैं? (क) शुद्ध (ख) सरल (ग) दोनों 'शुद्ध' और 'सरल' (घ) कोई नहीं उत्तर – (ग) दोनों 'शुद्ध' और 'सरल' 13. 'सेवा' का बहुवचन क्या होगा? (क) सेवाएं (ख) सेवकाई (ग) सेविका (घ) सेवक उत्तर – (क) सेवाएं 14. 'जीवन' शब्द का लिंग क्या है? (क) स्त्रीलिंग (ख) पुल्लिंग (ग) नपुंसकलिंग (घ) कोई नहीं उत्तर – (ख) पुल्लिंग 15. 'निबलों-विकलों' में कौन सा समास है? (क) द्वंद्व समास (ख) तत्पुरुष समास (ग) अव्ययीभाव समास (घ) कर्मधारय समास उत्तर – (क) द्वंद्व समास 16. 'प्रेम-सुधा' का अर्थ क्या है? (क) प्रेम का शहद (ख) प्रेम का अमृत (ग) मीठा प्रेम (घ) प्रेम की धारा उत्तर – (ख) प्रेम का अमृत 17. 'ध्यान' का सही वर्तनी रूप क्या है? (क) धयान (ख) धियान (ग) धियान (घ) ध्यान उत्तर – (घ) ध्यान 18. 'निशिदिन' शब्द में कौन सा समास है? (क) द्विगु समास (ख) अव्ययीभाव समास (ग) कर्मधारय समास (घ) द्वंद्व समास उत्तर – (घ) द्वंद्व समास 19. प्रार्थना में किस पर अभिमान करने की बात कही गई है? (क) धन पर (ख) अपनी मान-मर्यादा पर (ग) अपनी शक्ति पर (घ) अपनी सुंदरता पर उत्तर – (ख) अपनी मान-मर्यादा पर 20. 'भटके' शब्द का क्रिया-विशेषण रूप क्या हो सकता है? (क) भटकाना (ख) भटका हुआ (ग) भटक कर (घ) भटकन उत्तर – (ग) भटक कर
'क'
'ख'
सही जोड़ी
कर्तव्य
सफल
कर्तव्य मार्ग
पर
विकलों
पर सेवा
जीवन
भटके
जीवन सफल
निबलों
सुधा
निबलों विकलों
भूले
मार्ग
भूले भटके
प्रेम
सेवा
प्रेम सुधा
क. हमने जिस देश में जन्म लिया है उस पर न्यौछावर हो जाएँ।
पंक्ति – जिस देश जाति में जन्म लिया,
बलिदान उसी पर हो जाएँ।
ख. हम दीन-दुखियों के सेवक बनकर उनके दुख दूर करें।
पंक्ति – हम दीन-दुखी निबलों - विकलों
के सेवक बन सताप हरे।
ग. हमारा जीवन शुद्ध और सरल बने।
पंक्ति – जीवन हो शुद्ध सरल अपना,
घ. हे प्रभु हम अपनी आन, मान और मर्यादा का ध्यान रखे और उस पर गर्व कर सकें।
पंक्ति – निज आन, मान, मर्यादा का,
प्रभु! ध्यान रहे, अभिमान रहे।भाषा अध्ययन
शक्ति, कर्तव्य, द्वेष, शुद्ध, मर्यादा, शुचि
अशुद्ध – शुद्ध शब्द
करम – कर्म
परगट – प्रकट
कारन – कारण
हिरदय – हृदय
पढना – पढ़ना
दरशन – दर्शन
परभू – प्रभु
गुन – गुण
किरपा – कृपा
कुढना – कुढ़ना
प्रारथना – प्रार्थना
करतवय – कर्तव्य
जिवन – जीवन
दूखी – दुखी
परेम – प्रेंम
सूधा - सुधा
धयान – ध्यान
बलीदान –बलिदान
मार्ग = रास्ता
सुधा = अमृत
दिन = दिवस
प्रभु = ईश्वरयोग्यता विस्तार
2. इसी प्रकार की अन्य प्रार्थना याद कीजिए और कक्षा में सुनाइए।अतिरिक्त वैकल्पिक प्रश्न
✅ प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए 20 वैकल्पिक प्रश्न
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