नमस्ते बच्चों और शिक्षकों! कक्षा 2 की भाषा भारती पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ क्रमांक 2 पर दी गई 'ईश्वर की प्रार्थना' का यह एक सुंदर और विस्तृत रूप है। इस प्रार्थना को विद्यालय शुरू होने से पहले गाया जाता है और इसमें हम ईश्वर से ज्ञान और अच्छे संस्कार देने की प्रार्थना करते हैं।
प्रार्थना
हमें ज्ञान दो हे भगवान,
प्रतिदिन करें तुम्हारा ध्यान।
कभी नहीं मन में अभिमान,
हमसे सबका हो कल्याण।
माता और पिता का मान,
रखें हम सबका सम्मान।
करें पढ़ाई पाए ज्ञान,
सदा रहे सेवा का ध्यान।
भावार्थ: जीवन में अच्छे मूल्यों का प्रकाश
इस प्रार्थना का गहरा अर्थ यह है कि हम केवल ईश्वर से ज्ञान नहीं माँगते, बल्कि एक अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा भी लेते हैं।
हम कहते हैं, "हे भगवान, हमें ऐसा ज्ञान दीजिए जो हमें सही-गलत का फर्क सिखाए।" हम आपसे प्रार्थना करते हैं कि हम हर दिन आपको याद करें ताकि हमारे मन में हमेशा अच्छे विचार रहें।
हमारा मन कभी भी घमंड से न भरे, क्योंकि घमंड हमें बुरा बनाता है। हम चाहते हैं कि हमारे कामों से हमेशा दूसरों का भला हो और सबकी ज़िंदगी में खुशियाँ आएँ।
हम अपने माता-पिता का आदर करें और उनकी आज्ञा मानें। हम सभी लोगों, चाहे वे छोटे हों या बड़े, उनका सम्मान करें।
हम मन लगाकर पढ़ाई करें ताकि हमें अच्छा ज्ञान मिले और हम अपने जीवन में सफल हो सकें।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारा मन हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहे। यही सच्ची प्रार्थना और सच्चा आशीर्वाद है।
अभ्यास और विचार के लिए प्रश्न
प्रश्न 1: इस प्रार्थना के अनुसार हम प्रतिदिन किसका ध्यान करते हैं?
उत्तर: हम प्रतिदिन ईश्वर का ध्यान करते हैं।
प्रश्न 2: हमें अपने मन में क्या नहीं रखना चाहिए?
उत्तर: हमें अपने मन में कभी भी अभिमान या घमंड नहीं रखना चाहिए।
प्रश्न 3: हमें किसका मान और सम्मान करना चाहिए?
उत्तर: हमें अपने माता-पिता का मान और सभी लोगों का सम्मान करना चाहिए।
प्रश्न 4: हमें पढ़ाई क्यों करनी चाहिए?
उत्तर: हमें पढ़ाई करके ज्ञान प्राप्त करना चाहिए।
प्रश्न 5 (सोचो और बताओ): 'हमसे सबका हो कल्याण' - इस पंक्ति का क्या मतलब है? इसका एक उदाहरण दो?
उत्तर: इस पंक्ति का मतलब है कि हमारे कामों से सभी लोगों का भला हो। उदाहरण के लिए, जब हम किसी को सड़क पार करने में मदद करते हैं या किसी भूखे पक्षी को दाना डालते हैं, तो यह दूसरों का कल्याण करना कहलाता है।
प्रश्न 6 (चुनौती): आपने कब किसी की मदद की थी? उस अनुभव के बारे में अपने दोस्तों और शिक्षक को बताओ?
उत्तर: (विद्यार्थी अपने अनुभव साझा करेंगे)
बच्चों, उक्त प्रार्थना को कंठस्थ याद कर सस्वर गायन करें। हो सके तो इसी तरह की ईश्वर की अन्य प्रार्थना भी याद करें और जब भी अवसर मिले तो बाल सभा में अवश्य सुनाएँ।
प्रिय शिक्षक साथियों एवं प्यारे बच्चों, नमस्ते। आइए, एक और सुंदर प्रार्थना सीखें जो हमें अच्छा इंसान बनने और हर दिन कुछ नया सीखने की प्रेरणा देती है।
छोटी प्रार्थना
हम नन्हें बालक हैं भगवान,
देना हमको अच्छा ज्ञान।
सदा बड़ों का करें सम्मान,
कभी न मन में आए अभिमान।
पढ़ लिख कर बनें महान,
देश का बढ़ाएँ हम शान।
भावार्थ
इस छोटी सी प्रार्थना में बच्चे ईश्वर से कहते हैं कि "हे भगवान! हम अभी छोटे-छोटे बच्चे हैं। हमें अच्छा और सही ज्ञान दीजिए ताकि हम समझदार बन सकें। हम हमेशा अपने बड़ों का आदर करें और कभी भी हमारे मन में घमंड न आए।"
बच्चे आगे कहते हैं कि "हम खूब मन लगाकर पढ़ाई करेंगे, ताकि बड़े होकर महान व्यक्ति बन सकें और अपने देश का नाम रोशन करें। हे ईश्वर, हमें ऐसी ही शक्ति और आशीर्वाद दो।"
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